रोमांच का लुत्फ उठाने के लिये भेल के साहसी युवा जोखिम उठाने से भी गुरेज नहीं करते। पिछले कुछ वर्षों से इनका रुझान साहसिक खेलों के प्रति तेजी से बढा है और इस पीढी की नजर में सबसे बडी शिद्दत से यह सोच पनपी है- आखिर बिन रोमांच जिंदगी कैसी…
खुले आकाश में पंछियों की तरह उडना, ऊंवे-ऊंचे पहाडों की चोटियों को छूना या बर्फीली वादियों में अठखेलियां करने का मजा और रोमांच लोगों को साहसिक पर्यटन की ओर आकर्षित करते हैं। यही वजह है कि युवा ट्रैकिंग, स्कीइंग, हैलीस्कीइंग, ग्लाइडिंग, पैरा ग्लाइडिंग, वाटर राफ्टिंग, पैरासेलिंग, जेट स्कीइंग, वाटर सर्फिंग जैसे रोमांचक पर्यटन अभियानों पर निकल पडते हैं। यह सब साहसिक के साथ साथ जोखिम भरा भी है।
दुर्गम इलाकों में पैदल चलते हुए किसी एक स्थान से दूसरे स्थान तक घण्टों, दिनों, सप्ताह या कुछ सप्ताहों में अथवा इससे भी अधिक समय में पूरी टीम को सही सलामत गंतव्य तक पहुंचाना या किसी स्थान पर स्कीइंग, हैलीस्कीइंग, ग्लाइडिंग, पैरा ग्लाइडिंग, वाटर राफ्टिंग, पैरासेलिंग, जेट स्कीइंग, वाटर सर्फिंग जेसे कार्यक्रम को सफल करना कितना महत्त्वपूर्ण है इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। किसी ट्रेकिंग कार्यक्रम के आयोजन और सफलता के लिये कार्यक्रम की अवधि तथा सदस्य संख्या के अनुसार राशन व खाद्य पदार्थों की मात्रा, ऊंचाई वाले इलाकों में खाने-पीने की कुछ चीजें, ईंधन, कुली, चूल्हा, बर्तन, पूरे रूट की जानकारी, प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तिगत सामान, आवश्यक हों तो कुछ उपकरण, दवाइयां और अनुमानित खर्च आदि अहम बातें हैं जिन पर ध्यान देना होता है। इसके अतिरिक्त ट्रेकिंग के दौरान क्या करें, क्या न करें की जानकारी भी सदस्यों को समय पर देनी होती है।
दुर्गम इलाकों में पैदल चलते हुए किसी एक स्थान से दूसरे स्थान तक घण्टों, दिनों, सप्ताह या कुछ सप्ताहों में अथवा इससे भी अधिक समय में पूरी टीम को सही सलामत गंतव्य तक पहुंचाना या किसी स्थान पर स्कीइंग, हैलीस्कीइंग, ग्लाइडिंग, पैरा ग्लाइडिंग, वाटर राफ्टिंग, पैरासेलिंग, जेट स्कीइंग, वाटर सर्फिंग जेसे कार्यक्रम को सफल करना कितना महत्त्वपूर्ण है इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। किसी ट्रेकिंग कार्यक्रम के आयोजन और सफलता के लिये कार्यक्रम की अवधि तथा सदस्य संख्या के अनुसार राशन व खाद्य पदार्थों की मात्रा, ऊंचाई वाले इलाकों में खाने-पीने की कुछ चीजें, ईंधन, कुली, चूल्हा, बर्तन, पूरे रूट की जानकारी, प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तिगत सामान, आवश्यक हों तो कुछ उपकरण, दवाइयां और अनुमानित खर्च आदि अहम बातें हैं जिन पर ध्यान देना होता है। इसके अतिरिक्त ट्रेकिंग के दौरान क्या करें, क्या न करें की जानकारी भी सदस्यों को समय पर देनी होती है।
इस सब के लिये एक समर्पित अराजनैतिक, असंप्रदायिक, अशासकिय, जाति धर्म और लिंग से परे स्व्यं सेवी संगठन यूथ होस्टल एसोशियेशन आफ इंडिया का उदय हुआ जिसका संबंध “ अंतराष्ट्रिय यूथ होस्टल्स फेडरेशन लंदन “ से है तथा मानव संसाधन मंत्रालय , भारत सरकार के खेल एवं युवा मामले विभाग से मान्यता प्राप्त है. का उदय भारत मे हुआ जिसका केन्द्रीय कार्यालय चाणक्यपुरी दिल्ली मे है. इसकी शाखाये विभेन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों मे कार्यरत है. मध्य प्रदेश मे इसकी राज्य शाखा YHAI, पलाश होटल, भोपाल मे है. राज्य शाखा की मदद हमने बी एच इ एल भोपाल मे इसे 1988 मे शुरू किया. इसका उद्देशय भेल एवं उसके आसपास रहने वाले रहवासियों, स्कूल और महाविद्यालय के छात्र छात्राओं के लिये साहसहिक खेल एवं अन्य रोमांचकारी खेलों और गतिविधियों का आयोजन करते रहना है.
संस्था ने अनेकों बच्चों और युवाओं को राष्ट्रिय और राज्य स्तरिय साहसिक ट्रेकिंग अभियानों के लिये प्रेरित किया और समय-समय पर उनका मार्ग दर्शन किया. संस्था हर वर्ष पेंटीग, वाद विवाद और निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन करती रही है. उसके एक दिवसिय ट्रेकिंग प्रोग्राम ने खासी लोकप्रियता हासिल की.
विगत 25 वर्षों से यह अपने उद्देश्यों पर कितनी खरी उतरी है यह इस बात से समझा जा सकता है कि जिन बच्चों ने कभी ट्रेकिंग की थी आज उनके बच्चे भी अब इस संस्था से जुडकर ट्रेकिंग और साहसिक अभियानों में हिस्सा ले रहे है.
इस लेख के द्वारा मे संस्र्था से जुडे सभी सदस्यों से आग्रह करूगा की इस वर्ष को हम यादगार बनाने के लिये कुछ एसा करे की जिससे यह संस्था आने वाले समय में भी सभी के लिये प्रेरणा बनी रहे.
इस लेख के द्वारा मे संस्र्था से जुडे सभी सदस्यों से आग्रह करूगा की इस वर्ष को हम यादगार बनाने के लिये कुछ एसा करे की जिससे यह संस्था आने वाले समय में भी सभी के लिये प्रेरणा बनी रहे.
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